सोना कितना ‘सोणा’ है?

भारतीय सोना को निवेश का सबसे अच्छा विकल्प समझते हैं. यह सोच पारंपरिक है लेकिन आज के खुले बाजार की अर्थव्यवस्था में जहां निवेश के इतने सारे विकल्प मौजूद हैं, वहां सोच को बदलकर देखने की भी जरूरत है.

भारतीय बचतकर्ता अभी भी सोने को लेकर उसी पारंपरिक सोच में फंसे हुए हैं कि यह एक सरल और उपयोगी निवेश है इसलिए बुरे समय में बहुत काम आता है इसलिए हर परिवार को सोने में निवेश करना चाहिए. आज के बाजार से जुड़े दृष्टिकोण की बात करें तो अन्य वस्तुओं की तरह ही सोने का व्यापार होता है. हालांकि, सही दृष्टिकोण पूरी तरह से कुछ और है. बचतकर्ता अगर सोने को निवेश के एक विकल्प के रूप में मानते हैं तो यह ठीक ही है और सोने की कुछ अनूठी विशेषताएं हैं. हालांकि, यह बहुत अच्छा निवेश नहीं है क्योंकि आपके पास आपकी बचत के बेहतर निवेश के कई अन्य विकल्प मौजूद हैं.

हम किसी भी अन्य निवेश के साथ क्या करते हैं? सबसे पहले आंकलन करते हैं कि निवेश में तरलता है कि नहीं, यानी अगर पैसे की इमरजेंसी में जरूरत हुई तो वह निवेश कितना काम आ सकता है. देखते हैं कि उस निवेश में स्थिरता है कि नहीं यानी पैसा लगा है तो उसका मूल्य रहेगा कि नहीं. फिर यह भी देखना पड़ता है कि इसपर रिटर्न कैसा मिलेगा? अगर इन सारी बातों को ध्यान में रखकर सोचें तो सोने में निवेश का कोई खास मतलब नहीं रह जाता है.

अब सोने निवेश पर जो रिटर्न मिलता है वह उतनी ही जोखिम और अस्थिरता वाले अन्य निवेशों की तुलना में खराब होता है. और हां, हमेशा ऐसा ही रहेगा. इसका कारण यह है कि सोना वास्तव में कुछ भी पैदा नहीं करता या कोई मूल्य नहीं बनाता है. इसके मूल्य में कोई वृद्धि बस इस भरोसे पर आधारित है कि जब इसके बेचने का समय आएगा तो कोई दूसरा व्यक्ति इसके लिए अधिक भुगतान करेगा. अगर आप अपना पैसा इक्विटी या बॉन्ड या बैंक डिपॉजिट के विपरीत, सोने में निवेश करते हैं तो वह आर्थिक विकास में कोई योगदान नहीं करता. उतनी ही रकम को यदि किसी अच्छे व्यवसाय या किसी अन्य उत्पादक आर्थिक गतिविधि में लगाया जाता है, तो उससे धन बनाया जा सकता है. जबकि आपने जितना सोना रखा था, वह हमेशा उतना ही रहेगा. उसमें कुछ भी बढ़ोतरी नहीं होने वाली.

आप जब हवाई यात्रा में होते हैं तो जहाज के उड़ने से ठीक पहले फ्लाइट अटेंडेंट सुरक्षा से जुड़ी कुछ घोषणाएं करते हैं. निवेश सलाहकारों को भी समय-समय पर दो सुरक्षा घोषणाएं दोहराने की जरूरत होती है. एक घोषणा सोना यानी गोल्ड को लेकर जबकि दूसरी घोषणा अचल संपत्ति (जैसे घर आदि) के बारे में होनी चाहिए. शुक्र है कि पिछले कुछ वर्षों में बचतकर्ताओं ने समझा है कि अचल संपत्ति को निवेश का साधन मानने का मतलब है अपने पैसे को अथाह गड्ढे में डालना. हालांकि, सोने का बुखार हर बार एक खास अवधि में वापसी करता है, क्योंकि सोने की कीमतें थोड़ी बढ़ जाती हैं.

इस बार, 2019 की शुरुआत के बाद से सोने का दाम लगभग 20% चढ़ा है. इस वर्ष अन्य निवेश के बहुत अस्थिर होने के कारण कुछ बचतकर्ताओं को सोने के दाम ने बहुत उत्साहित किया है. हालांकि, यह एक आवधिक या पीरियॉडिक वृद्धि है, अन्यथा सोने में निवेश को बहुत सुस्त निवेश माना जाता रहा है. ऐसी तेजी में भी सोने में निवेश पर 10 साल में रिटर्न सिर्फ 8.3% ही मिल रहा है, जो शायद ही अस्थिरता को सही ठहराता है. इसके अलावा, सोने में निवेश करने या निवेश नहीं करने के साथ केवल रिटर्न का प्रश्न नहीं जुड़ा होता, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि उस रिटर्न का स्रोत क्या है.

हम पूरी तरह से ऐसा नहीं कह रहे कि सोने में निवेश करना ही नहीं चाहिए. अगर हम पूरी तरह यह नहीं कह रहे तो कुछ हद तो ऐसा कह ही रहे हैं. तो अगर आपकी बाजार से जुड़ी आधुनिक वित्तीय प्रणाली तक पहुंच है तो उन्हें तोलमोल के देखना चाहिए कि क्या सोने में निवेश का उनका पुराना विकल्प वाकई अच्छा है या उन्हें निवेश के अन्य विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए. सोने में निवेश की बात उन लोगों के लिए तो समझ में आता है जो दूर-दराज की ऐसी जगहों में जहां उनकी वित्तीय प्रणाली तक कोई पहुंच नहीं या फिर उन्हें इस प्रणाली पर कोई भरोसा नहीं है. लेकिन अगर मौका है, पहुंच है, भरोसा है तो दूसरे विकल्पों के बारे में विचार करना शुरू करें. गंभीरता से.

अगर आपने यही ठान लिया है कि आप सोना ही लेंगे तो फिर आपको ‘पेपर गोल्ड’ में जाना चाहिए जो भौतिक सोने की तुलना में कहीं अधिक मायने रखता है. गोल्ड-समर्थित म्यूचुअल फंड सोने के मूल्य पर करीब से नजर रखते हैं. ये ओपन एंडेड फंड हैं और इन्हें किसी भी समय भुनाया जा सकता है. हालांकि, यदि आप अपनी तरलता को थोड़ा रोक सकते हैं और पेपर गोल्ड में पांच साल के लिए पैसा लॉक कर सकते हैं, तो भारत सरकार के स्वर्ण बांड समय-समय पर जारी किए जाते हैं और बैंकों द्वारा बेचे जाते हैं. सोने के साथ उनका मूल्य बढ़ता है, साथ ही प्रति वर्ष 2.5% का अतिरिक्त ब्याज भी मिलता है. ब्याज कर योग्य है लेकिन आजकल उपलब्ध किसी भी अन्य निवेश से उलट इस पर पूंजीगत लाभ को करमुक्त रखा गया है.

बहुत से लोगों के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल है कि सोना एक अच्छा निवेश नहीं है क्योंकि हम सहज रूप से सोने को स्थायी धन मानते हैं, एक ऐसी मुद्रा जो सभी प्रकार की ऐतिहासिक परेशानियों से सुरक्षित बची हुई है. बेशक यह सत्य है. लेकिन आधुनिक वित्तीय प्रणाली में क्या सोने के साथ जुड़ी बसी बात को ही बचतकर्ताओं द्वारा सोने में निवेश के लिए पर्याप्त माना जाना चाहिए? जवाब होगा नहीं.

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